हिन्दी भवन
(स्थापना वर्ष : 1995)
हिन्दी स्वाधीन भारत की राष्ट्रभाषा है। राष्ट्र की संस्कृति आत्म-चेतना की संवाहिक-भाषा भी हिन्दी है। अत: हिन्दी भाषा और साहित्य के अध्ययन-अध्यापन के माध्यम से भारतीय राष्ट्र को साकार व सिद्ध करने तथा स्वाध्याय एवं शोध के माध्यम से ज्ञान के क्षितिजों को विस्तीर्ण करने के उद्देश्य से सौराष्ट्र विश्वविद्यालय में सन 1995 में हिन्दी भवन की स्थापना की गई।
राष्ट्रभाषा हिन्दी के संस्कार यहाँ की मिट्टी में मिले हुए हैं। देश की आजादी के महानायक, राष्ट्रभाषा के उपासक, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जन्म भूमि पोरबंदर और आर्य समाज के संस्थापक तथा प्रबल समर्थक टंकारा के महर्षि दयानंद सरस्वती जी की जन्म- भूमि के साथ सौराष्ट्र की इस राजधानी ‘राजकोट’ का अभिन्न नाता रहा है।
यहाँ का जन-जीवन भगवान कृष्ण की सुनहरी द्वारका नगरी की संस्पर्शी लहरों से सदा प्रभावित रहा है। यह तथ्य धार्मिक-सांस्कृतिक पर्व / उत्सव आदि के समय सुप्रसिद्ध गरबा एवम लोकनृत्य के जरिये प्रकट होता रहा है।
राजकोट नगर के पश्चिमांचल में रैया और मुंजका – दो ग्रामों के बीच में उच्च भूमिप्रदेश पर सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के सारस्वत सदन द्रष्टिगोचर होते हैं।
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